दस्त से जीवन की रक्षा करते हैं ओआरएस घोल और जिंक टेबलेट
दस्त से जीवन की रक्षा करते हैं ओआरएस घोल और जिंक टेबलेट
दस्त से जीवन की रक्षा करते हैं ओआरएस घोल और जिंक टेबलेट
कुशीनगर(एपीआई एजेंसी):- बदलते मौसम में नवजात और बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति खास तौर पर सतर्क रहने की आवश्यकता है । इसे देखते हुए सभी आशा, एएनएम, आयुष्मान आरोग्य मंदिर और सरकारी अस्पतालों पर ओआरएस के पर्याप्त इंतजाम किये गये हैं। बच्चों को उल्टी दस्त की दिक्कत हो तो तुरंत नजदीकी अस्पताल के चिकित्सक को दिखाएं और सुविधा का लाभ लें।
चिकित्सक द्वारा लिखी गयी दवा के साथ साथ बच्चे को ओआरएस का घोल भी देते रहें । मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 सुरेश पटारिया ने यह जानकारी देते हुए बताया कि बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर सरकारी अस्पताल आने के लिए दो साल तक के बच्चों को 102 नंबर एम्बुलेंस और इससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए 108 नंबर एम्बुलेंस का इस्तेमाल किया जाना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि ओआरएस घोल और जिंक टेबलेट दस्त से बच्चों के जीवन की रक्षा करते हैं । उन्होंने बताया कि अभिभावकों को भी यह ध्यान रखना है कि बच्चे को दस्त आते ही और हर दस्त के बाद ओआरएस का घोल अवश्य देना है । इसके साथ ही जिंक की गोली एक चम्मच पीने के पानी अथवा मां के दूध में घोल कर लगातार 14 दिनों तक देना है। दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी मां का दूध और पूरक आहार देना जारी रखना है ।
*ऐसे बनाएं ओआरएस का घोल-*
ओआरएस के एक पैकेट को एक लीटर पीने के पानी में घोल बनाकर रखना है जो समय-समय पर बच्चे की आयु के हिसाब से निर्धारित मात्रा में देना है। घोल बनाते समय सफाई पर विशेष ध्यान दें।
*जिंक का है विशेष लाभ*
सीएमओ ने बताया कि जिंक टैबलेट देने से दस्त की अवधि और तीव्रता कम होती है । यह तीन महीने तक दस्त से सुरक्षित रखता है और लंबे समय तक शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बना कर रखता है। उचित परामर्श के अनुसार जिंक की गोली मां के दूध या पानी के साथ बच्चे को देनी होती है। बच्चे को छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराना है और इसके बाद दो वर्ष की आयु तक स्तनपान के साथ साथ पूरक आहार भी देते रहना है।
*हीट वेव से बचाव ही उपचार*
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 सुरेश पटारिया ने बताया कि उमस भरी गर्मी की वजह से अस्पतालों में बुखार। उल्टी -दस्त के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। गर्मी की चपेट में सर्वाधिक बच्चे, गर्भवती, बुढ़े और श्रमिक आ रहे हैं।ऐसे में हीट वेव से बचाव ही उपचार है। उन्होंने बताया कि गर्मी से पीड़ित व्यक्तियों के उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग एलर्ट है। इसके लिए जिला संयुक्त चिकित्सालय , जिले के सभी सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर हीटवेव से बचाव के लिए आवश्यक दवाएं और ओआरएस के पैकेट आदि उपलब्ध करा दी गयी है। बेड भी सुरक्षित कर लिए गए हैं।
*हीट वेव से बचाव के लिए क्या करें*
-घर से बाहर निकलें तो शरीर को ढककर रखें और हल्के रंग के आराम दायक कपड़े पहनें।
-धूप में बाहर जाते समय छाता और आंखों पर धूप का चश्मा लगाएं ।
-थोड़े-थोड़े समय पर तरल पदार्थ पानी,नीबू पानी, शिकंजी, नारियल पानी आदि पीते रहें।
*गर्मी से बचाव के लिए बरतें सावधानी*
-गर्मी हो तो बाहर धूप में न जाएं।
-नंगे पैर धूप में न निकलें।
-बासी भोजन का सेवन न करें।
-चटक रंग के कपड़े न पहनें।
-तंग और छोटे कपड़े न पहनें।
-अधिक गर्मी वाले स्थानों पर भोजन न बनाएं।
-अधिक गर्मी में श्रम न करें।