दैहिक:दैविक एवं भौतिक तापों को नष्ट करती है माँ कष्टहरणी 

दैहिक:दैविक एवं भौतिक तापों को नष्ट करती है माँ कष्टहरणी 

दैहिक:दैविक एवं भौतिक तापों को नष्ट करती है माँ कष्टहरणी 

दैहिक:दैविक एवं भौतिक तापों को नष्ट करती है माँ कष्टहरणी 

गाजीपुर(एपीआई एजेंसी):- बाराचवर-ईक्यावन शक्ति पीठों मे से एक प्रमुख पीठ मां दुर्गा का एक दिब्य स्वरूप है मां कष्टहरणी।जो युगो युगो से गाजीपुर जनपद के मुहम्मदाबाद से चितबडागांव मार्ग पर करीमुद्दीनपुर थाने के पास निवास करती है।सदैव अपनें भक्तों के कष्टों को हरने वाली मां का नाम है मां कष्टहरणी।अपने भक्तों के तीनों तापों दैहिक ,दैविक एवम भौतिक तापों को नष्ट करने वाली दया की सागर ममतामयी करूणामयी मां का नाम है मां कष्टहरणी।मां का यह पावन एवम पवित्र धाम युगो युगो से करीमुद्दीनपुर मे बिराजमान है।

युगो पुर्व यह स्थान दारूक बन के नाम से जाना जाता था।जिस बन मे शेर बाघ जैसे हिंसक जीव बिचरण किया करते थे।मां के स्थान के बगल में बघउत बरम बाबा का स्थान है,जनश्रृतियों के अनुसार बाघ से लडाई के दौरान उनकी मृत्यु हो गयी थी तभी से आप बघउत बरम बाबा के नाम से यहां पर बिराजमान है। मां कष्टहरणी के यहां हर युग मे बिराजमान होने का प्रमाण मिलता है।आप की चमत्कारिक शक्तियों से जो भी आपकी शरण मे आकर पवित्र मन से प्रार्थना किया आपने उसका कल्याण किया।

आपने अपने हर भक्त का सदैव मंगल ही किया है।त्रेतायुग में भगवान राम ,लक्ष्मण महर्षि विश्वामित्र के साथ अयोध्या से सिद्धाश्रम बक्सर जाते समय यहां पर रूक कर मां कष्टहरणी का दर्शन पूजन कर कामेश्वर नाथ धाम कारो जो बलिया एवम गाजीपुर के सीमा पर स्थित है वहां पहुंचने का प्रमाण है।आपने कामेश्वर नाथ धाम मे दर्शन पूजन कर रात्रि विश्राम किया सुबह आप सभी गंगा पार कर बक्सर बिहार स्थित सिद्धाश्रम पहुंचे। यह कामेश्वर नाथ धाम वही स्थान है जहां समाधिस्थ शिव को जगाने में कामदेव भष्म हो गया था।त्रेता युग में अयोध्या नरेश महाराज दशरथ अयोध्या से शिकार खेलते खेलते गाजीपुर जनपद के महाहर धाम तक आ गये थे वहीं पर राजा दशरथ के शब्दभेदी बाण से श्रवण कुमार की मृत्यु हो गयी थी।

आज भी उस स्थान पर श्रवण डीह नामक स्थान बिराजमान है।भगवान राम के साथ बक्सर जाते समय लक्ष्मण जी ने बाराचवर ब्लाक के उत्तर दिशा में रसडा के लखनेश्वरडीह नामक स्थान पर लखनेश्वर नाथ महादेव की स्थापना की थी जो आज भी लखनेश्वर नाथ के नाम से जाने जाते है।द्वापर में धर्मराज युधिष्ठिर अपने भाइयों,द्रोपदी एवम कुल गुरू धौम्य ॠषी के साथ मां कष्टहरणी धाम में आकर मां से अपने कष्टों को दूर करने के लिये प्रार्थना किये थे।मां के आशिर्वाद से महाभारत के युद्ध में पांडवों की बिजय हुई। जैसा मां का नाम है उसी के अनुरूप आप वास्तव में अपनें भक्तों का कष्ट दूर करती हैं।

कलयुग में बाबा कीनाराम जी को स्वयम मां कष्टहरणी ने अपने हाथ से प्रसाद प्रदान कर सिद्धियां प्रदान की थी।मां के धाम में गौतम बुद्ध,सम्राट अशोक,ह्वेन सांग,फाह्यान,स्वामी विवेकानन्द,सहजानन्द सरस्वती,मंडन मिश्र,जैसे अनेक लोगों ने इस मार्ग से जाते समय यहां रूक कर मां का दर्शन पूजन किया है।ह्वेन सांग एवम फाह्यान ने यहां का वर्णन अपने यात्रा बृतांत में किया है।मां के धाम में आश्विन एवम चैत्र नवरात्र में मातायें दूर दूर से आकर अपने परिवार की सुख समृद्धी एवम सलामती के लिये मां कष्टहरणी के चरणों में चौबिस घंटे तक अखंड दीपक जलाती है। पूरी रात मां के चरणों मे गीत एवम नृत्य करती है।

पूर्वांचल ही नहीं पुरेे उत्तर प्रदेश मे मां के पुराने स्थानों में से एक प्रमुख स्थान है।जितनी भारी संख्या में चौबीस घंटे अखण्ड दीपक मां कष्टहरणी के धाम में जलाये जाते है शायद देश में और कहीं देखने को नहीं मिलेगा।देश के कोने कोने से लोग आकर मां का दर्शन पूजन करते है।मातायें अपने परिवार की सलामती एवम कुंवारी कन्यायें अच्छा जीवन साथी की प्राप्ति के लिए मां कष्ट हरणी के दरबार में गुहार लगाती है। मां के चमत्कारो को ब्यक्त नहीं किया जा सकता है मा की कृपा को केवल महसूस किया जा सकता है। वैसे तो वर्ष भर मां के धाम में शादी मुंडन किर्तन एवम रामायण का आयोजन होता रहता है,मा के दर्शन मात्र से ही मानव का कल्याण हो जाता है,रामनवमीं के दिन मा के धाम पर बिराट मेले का आयोजन किया जाता है,मा के मन्दिर के निर्माण मे स्व०लाल बाबा का  सराहनीय सहयोग रहा है।

पुजारी के रूप में लम्बे समय से हरिद्वार पांण्डेय सेवा कर रहे थे लेकिन अब उनके पुत्र राजकुमार पांण्डेय मां की सेवा कर रहे है,लोगों के सहयोग से मां के धाम में बराबर बिकास कार्य कराया जा रहा है। नवरात्रि के प्रथम दिवस पर भोर में ही मा के धाम के कपाट दर्शनार्थियों के लिए खोल दिये जाते है। नवरात्र में मां कष्टहरणी के धाम में भोर में एवम शयन आरती में भाग लेने के लिए हजारो की संख्या में लोग दूर देर से पहूंचते है। रामनवमी के दिन यहां पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। मां कष्टहरणी मंदिर व्यवस्था में ओंकार नाथ राय,रमेश चन्द्र राय,गोपाल राय,सुनील कुमार राय,बृहद राय,देवेन्द्र राय, महेश्वर पाण्डेय समेत अन्य लोग लगे हैं। करीमुद्दीनपुर थानाध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह के देख देख में सुरक्षा की समुचित व्यवस्था की गई है।