कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं सुना कर कविता प्रेमियों को किया आनंदित

कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं सुना कर कविता प्रेमियों को किया आनंदित

कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं सुना कर कविता प्रेमियों को किया आनंदित

कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं सुना कर कविता प्रेमियों को किया आनंदित

सोनभद्र(एपीआई एजेंसी):- शहीद स्थल प्रबंधन ट्रस्ट करारी के तत्वावधान में गेंगुआर पकरी स्थित रचनाकार दयानंद दयालू के आवास पर रविवार को को आयोजित कवि गोष्ठी देर रात तक चली। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार पारसनाथ मिश्र ने किया वही मुख्य अतिथि के रूप में असुविधा पत्रिका के संपादक रामनाथ शिवेंद्र तथा विशिष्ट अतिथि सोन साहित्य संगम के उपनिदेशक सुशील राही व संरक्षक एवं गीतकार जगदीश पंथी उपस्थित रहे । संचालन ओज के कवि प्रदुम्न तिवारी एडवोकेट निदेशक शहीद स्थल करारी ने किया।

वाणी वंदना करते कवि दिवाकर द्विवेदी मेघ ने - मां शारदे वर दे हमें तब स्मरण करते रहें सुनाकर विधिवत कार्यक्रम का आगाज किया ।अशोक तिवारी ने चांदनी की जमी पर छटा देखकर, चांद के पार  हमको भी जाना पड़ा सुनाकर वाहवाही बटोरी काफी सराहे गए। सुधाकर स्वदेशप्रेम ने वीर रस की रचना - तिरंगे में सजे अर्थी बजे धुन राष्ट्रगीतों की जनाजा जब मेरा निकले वतन के वास्ते निकले सुनाकर राष्ट्रीयता का जज्बा जगाया ।

विशिष्ट अतिथि गीतकार जगदीश पंथी  ने - संसद को चूल्हे चौके से जोड़ न पायेंगे तो सच कहता हूं ऐ दुनिया वालो हम मर जायेंगे सुनाकर चुनावी माहौल को रेखांकित किये। मुख्य अतिथि रामनाथ शिवेंद्र ने – हमे रोटियां ही दीजिये बहुत भूख लगी है दे रहे हैं गीता कुरान किसलिए सुनाकर सदभावना की अलख जगाई। ओज के सशक्त हस्ताक्षर प्रदुम्न त्रिपाठी एडवोकेट  ने– तिरंगा तुझे हम कभी झुकने नही देंगे मिट जायेंगे खुद तुझे मिटने नही देंगे सुनाकर राष्ट्रभक्ति का जनजागरण किये जय हिन्द वन्देमातरम नाद के बीच करतल ध्वनि से आयोजन गुंजायमान कर दिया।

आयोजक दयानंद दयालू ने – अपने सोन चिरैया भारत में सोनभद्र नगरिया बा सुनाया राधेश्याम पाल ने– फटी ए बिवाई औ छाले न होते 
,  किसी  के न मुख में निवाले न होते सुनाकर गतिज ऊर्जा दी अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि पारस नाथ मिश्र ने मरि त जाइब हम काहे मिसिरी में माहुर मिलावत हऊ. श्रृंगार की पंक्ति सुनाकर सबको अभीभूत कर दिये।

इस अवसर पर कौशल्या चौहान, धर्मेश चौहान ,दिव्या राय अब्दुल हई अनुपम वाणी राकेश शरण मिश्र सुशील राही जय राम सोनी मदन चौबे प्रभात सिंह चंदेल दिलीप सिंह दीपक विकास वर्मा आदि कवियों ने भी श्रृंगार गीत गजल मुक्तक  रुबाई छंद सुनाकर माहौल को रससिक्त कर दिये आयोजन में सैकड़ों श्रोतागण लल्लन सिंह , हरि नारायण सिंह, मदन लाल सिंह, विमलेश कुमार, शिवम कुमार, दिनेश कुमार, पवन कुमार, मृगेंद्र कुमार , अशोक कुमार, अनिल कुमार, शैलेश कुमार आदि देर रात तक जमे रहे।