श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से भक्तों को मिलती है कष्टों से मुक्ति

श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से भक्तों को मिलती है कष्टों से मुक्ति

श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से भक्तों को मिलती है कष्टों से मुक्ति

श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से भक्तों को मिलती है कष्टों से मुक्ति

अमेठी(एपीआई एजेंसी):- सेमरौता कस्बे मे चल रही सात दिवसीय संगीतमई श्रीमद भागवत कथा में कथा वाचक आचार्य गंगाराम शास्त्री ने राजा बलि की दानवीरता प्रसंग का सुन्दर वर्णन किया जिसे सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर एवं मंत्र मुग्ध हो गए।

कथा वाचक ने राजा बलि की दानवीरता प्रसंग का सुन्दर वर्णन करते हुए कहा कि बलि की वजह से सभी देवता बहुत दुखी थे।दुखी देवता अपनी माता अदिति के पास पहुंचे और अपनी समस्या बताई। इसके बाद अदिति ने पति कश्यप ऋषि के कहने पर एक व्रत किया, जिसके शुभ फल से भगवान विष्णु ने वामन देव के रूप में जन्म लिया।वामन देव ने छोटी उम्र में ही दैत्यराज बलि को पराजित कर दिया था।बलि अहंकारी था उसे लगता था कि वह सबसे बड़ा दानी है। विष्णु जी वामन देव के रूप में उसके पास पहुंचे और दान में तीन पग धरती मांगी।अहंकारी  बलि ने सोचा कि ये तो छोटा सा काम है। 

मेरा तो पूरी धरती पर अधिकार है, मैं इसे तीन पग भूमि दान कर देता हूं।बलि वामन देव को तीन पग भूमि दान देने के लिए संकल्प कर रहे थे, उस समय शुक्राचार्य ने उसे रोकने की कोशिश की। दरअसल, शुक्राचार्य जान गए थे कि वामन के रूप में स्वयं भगवान विष्णु हैं।शुक्राचार्य ने बलि को समझाया कि ये छोटा बच्चा नहीं है, ये स्वयं विष्णु हैं, ये तुम्हें ठगने आए हैं। तुम इन्हें दान मत दो।ये बात सुनकर बलि बोला कि अगर ये भगवान हैं और मेरे द्वार पर दान मांगने आए हैं तो भी मैं इन्हें मना नहीं कर सकता हूं।

ऐसा कहकर बलि ने हाथ में जल का कमंडल लिया तो शुक्राचार्य छोटा रूप धारण करके कमंडल की दंडी में जाकर बैठ गए, ताकि कमंडल से पानी ही बाहर न निकले और राजा बलि संकल्प न ले सके।वामन देव शुक्राचार्य की योजना समझ गए। उन्होंने तुरंत ही एक पतली लकड़ी ली और कमंडल की दंडी में डाल दी, जिससे अंदर बैठे शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई और वे तुरंत ही कमंडल से बाहर आ गए। इसके बाद राजा बलि ने वामन देव को तीन पग भूमि दान करने का संकल्प ले लिया।राजा के संकल्प लेने के बाद वामन देव ने अपना आकार बड़ा कर एक पग में पृथ्वी और दूसरे पग में स्वर्ग नाप लिया। इसके बाद उन्होंने राजा से कहा कि अब मैं तीसरा पग कहां रखूं? ये सुनकर राजा बलि का अहंकार टूट गया।

इस अवसर पर मुख्य यजमान शत्रुघ्न पाण्डेय,बाल कृष्ण त्रिपाठी,जय प्रकाश पाण्डेय,गोपाल शंकर मिश्र,श्रीकांत पाण्डेय,अमित पाण्डेय,कन्हैया बक्श सिंह,दिलीप मिश्रा,मंशाराम सैनी आदि लोग मौजूद रहे।