श्रीराम कथा ज्ञानयज्ञ का सार है अंत करण में सुमिरन : साध्वी स्वरूपाबाई

श्रीराम कथा ज्ञानयज्ञ का सार है अंत करण में सुमिरन : साध्वी स्वरूपाबाई

श्रीराम कथा ज्ञानयज्ञ का सार है अंत करण में सुमिरन : साध्वी स्वरूपाबाई

श्रीराम कथा ज्ञानयज्ञ का सार है अंत करण में सुमिरन : साध्वी स्वरूपाबाई

मऊ(एपीआई एजेंसी):- मुहम्मदाबाद गोहना स्थानीय तहसील अंतर्गत ग्रामसभा राजापुर में मंगलवार को दो दिवसीय श्रीराम कथा सार ज्ञानयज्ञ प्रारम्भ हुई। पहले दिन भारत राष्ट्र के प्रख्यात संत सतपालजी महाराज के धार्मिक संस्थान मानव उत्थान सेवा समिति के लखनऊ के हंस आश्रम की प्रभारी साध्वी स्वरूपाबाई जी ने श्रीराम कथा का रसपान कराते हुये कहा कि अंतकरण में श्रीराम नाम का सदैव सुमिरन की रामकथा का सार है।

इस संसार में राम को जीवन का आधार बनाइये और उनके नाम हमेशा स्मरण करते रहें। इसके अतिरिक्त महात्मा सोनबाई जी एवं जनपद प्रभारी सारथानंद जी महाराज ने भी श्रीराम कथा सार औऱ सत्संग के महत्व की चर्चा की। साध्वी जी ने बताया कि प्रभुनाम के सुमिरन का अभ्यास जरा कठिन है। चंचल मन इसको विस्मृत कर देता है। इसलिए इसके अभ्यास के लिए गुरु के सानिध्य व ज्ञान की आवश्यकता होती है। साध्वी स्वरूपाबाई ने प्रभु श्रीराम के विभिन्न अवतारों की कथा एवं प्रभु के विभिन्न अवतारों की सुनाई। उन्होंने मनु महाराज व सतरूपा जी से प्रारंभ हुई मानव श्रृंखला के क्रम में भगवान की विभिन्न अवतारों की लीलाओं की चर्चा की।

सारथानंद महाराज ने बताया कि ईश्वर की असीम अनुकंपा व हमारे जन्म जन्मांतर के पुण्य फल उदित होने से सत्संग प्राप्त होता है। वास्तव में रामकथा व रामायण दो दिन में नहीं सुनाया जा सकता। क्योंकि राम अनेक हैं और रामायण भी कोटि-कोटि हैं। इसलिए आप सबके बीच दो दिन में बस श्रीराम कथा का सार बताया जाना है।
इस अवसर पर राजापुर संस्था प्रमुख रविप्रकाश सिंह, ग्रामप्रधान शीला सिंह, कार्यक्रम के आयोजक प्रधान प्रतिनिधि बसन्त कुमार सिंह, उषा सिंह, गुरुप्रसाद सिंह, निर्मला देवी, झगरू प्रसाद, विनीता सिंह, डाक्टर सुबास चौहान, निर्जला सिंह, डाक्टर गुल्लू शर्मा आदि सहित सैकड़ों स्त्री-पुरूष उपस्थित रहे। माँ शारदे के वरदहस्त प्राप्त पुत्र शिवम राय, सुजीत कुमार व त्रिभुवन दत्त ने सुरीली भजनों का प्रवाह किया। कथा का सफल मंच संचालन शेषनाथ सिंह ने किया। जबकि आभार प्रदर्शन आयोजक बसंत कुमार सिंह ने किया।