वेक्टर जनित बीमारियों की हुई गहन समीक्षा, ठीक हुए मरीजों से राष्ट्रीय टीम ने किया संवाद

वेक्टर जनित बीमारियों की हुई गहन समीक्षा, ठीक हुए मरीजों से राष्ट्रीय टीम ने किया संवाद

वेक्टर जनित बीमारियों की हुई गहन समीक्षा, ठीक हुए मरीजों से राष्ट्रीय टीम ने किया संवाद

वेक्टर जनित बीमारियों की हुई गहन समीक्षा, ठीक हुए मरीजों से राष्ट्रीय टीम ने किया संवाद

कुशीनगर(एपीआई एजेंसी):- जिले में भारत सरकार की टीम ने शुक्रवार को वेक्टर जनित बीमारियों की गहन जमीनी समीक्षा की और ठीक हुए मरीजों के साथ भी विस्तार से संवाद किया । टीम का नेतृत्व कर रहे भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव (वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम) राजीव मांझी ने न केवल जनपद में वेक्टर जनित रोगों की स्थिति को देखा, बल्कि वह कालाजार और कुष्ठ से ठीक हुए लोगों से मिले और उनके साथ संवाद भी किया।

साथ ही उन्होंने इन लोगों को मिल रहे सरकारी योजनाओं के लाभ के बारे में भी जानकारी हासिल की । इसके बाद संयुक्त सचिव ने तमकुही राज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) का दौरा किया और वहां पर भी कालाजार, फाइलेरिया एवं कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम की समीक्षा की । संयुक्त सचिव ने जिले के कालाजार प्रभावित इलाकों में इसकी वाहक बालू मक्खी का घनत्व पता लगाने का भी निर्देश दिया।

संयुक्त सचिव मांझी सबसे पहले तमकुही राज ब्लॉक के पुरैना कटया उपकेंद्र के ग्रामसभा कटहरी बाग गये और वहां पर 75 वर्षीय कालाजार से ठीक हुए बुजुर्ग से उनके आवास पर मुलाकात की। उन्होंने संयुक्त सचिव के साथ अपने अनुभव साझा किये । संयुक्त सचिव ने कालाजार से ठीक हुए बुजुर्ग से सरकारी तंत्र द्वारा उनको मिली सहायता के बारे में भी जानकारी हासिल की। इसके बाद वह ग्रामसभा धुरिया कोट गये जहां 45 वर्षीय कुष्ठ से ठीक हुए व्यक्ति से मुलाकात की । उन्होंने कुष्ठ से ठीक हुए व्यक्ति द्वारा रोग प्रबन्धन के लिए अपनाये जाने वाले उपायों की जानकारी हासिल की । इसके बाद वह तमकुही राज सीएचसी गये और वहां अधिकारियों तथा वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम से जुड़े स्टॉफ से मुलाकात कर कार्यक्रमों की समीक्षा की ।

मांझी ने बताया कि कालाजार और कुष्ठ रोग से बचाव पर सरकार का काफी जोर है। दोनों बीमारियों का इलाज सरकारी तंत्र में सभी के लिए उपलब्ध है । कोशिश यह है कि अगर कहीं से भी कुष्ठ रोगी मिल रहे हैं तो वहां आसपड़ोस में पोस्ट एक्सपोजर प्रोफाइलेक्सिस कर बचाव की दवा (रिफैम्पिसीन) खिलाई जाए । इसके जरिये संक्रमण पर नियंत्रण किया जा सकता है। नये कुष्ठ रोगियों को खोज कर समय से इलाज कर देने से दिव्यांगता का खतरा टल जाता है और मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाता है। जहां कहीं भी कालाजार का एक भी मामला मिल रहा है वहां सर्विलांस पर अधिक जोर है।

कालाजार की वाहक बालू मक्खी से बचाव के लिए आईआरएस छिड़काव कराया जा रहा है। समन्वित प्रयासों से देश कालाजार उन्मूलन की ओर है। इस मौके पर राज्य स्तरीय वरिष्ठ अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सहयोगी संस्था पाथ, सीएचएआई और सीफार के प्रतिनिधिगण भी मौजूद रहे ।