जहां मजबूत हो रही वेद, संस्कृति , धर्म और शास्त्र की जड़ें

जहां मजबूत हो रही वेद, संस्कृति , धर्म और शास्त्र की जड़ें

जहां मजबूत हो रही वेद, संस्कृति , धर्म और शास्त्र की जड़ें

जहां मजबूत हो रही वेद, संस्कृति , धर्म और शास्त्र की जड़ें

सोनभद्र(एपीआई एजेंसी):- काशी की दिव्य भूमि में पूर्वोत्तर भारत के 300 बच्चे संस्कृत, हिंदी, धर्म और शास्त्र की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, इन बच्चों के सहारा बने हैं प्रसिद्ध व्यवसायी और समाजसेवी सूर्यकांत जालान , पिछले एक दशक से नागालैंड, सिक्किम, मेघालय, अरुणांचल प्रदेश, त्रिपुरा और असम के बच्चों को जालान जी के रूप में एक ऐसा अभिभावक मिला है जो इनके सिर्फ शिक्षा की चिंता नहीं करता बल्कि जैसे अपने बच्चे के भोजन, कपड़ा , स्वास्थ्य और मनोरंजन की व्यवस्था की जाती है उस तरह से बच्चों का ख्याल रखा जाता है।

ऐसा नहीं है कि सुरभि शोध संस्थान सिर्फ नार्थ ईस्ट के बच्चों का अभिभावक बना हुआ है, सम्पूर्ण भारतवर्ष के 300 और बच्चे इस अभिभावकरूपी बरगद की स्नेहिल छांव में राष्ट्र के सुसंस्कृत नागरिक बन रहे हैं। इस सांस्कृतिक उद्यान में एक माली और हैं जिन्हें हरीश तिवारी जी के नाम से जाना जाता है, उन्हें एक एक बच्चों का नाम मालूम है। बच्चे उनके बहुत निकट हैं। तिवारी को मैं एक दशक से ज्यादा वर्षों से जान रहा हूँ, उनके कर्मयोगी व्यक्तित्व का लाभ अब पूरे देश को मिल रहा है यह संतोष का विषय है।

जहां नार्थ ईस्ट के लोग गाय का मांस खाने में परहेज नहीं करते वहीं नार्थ ईस्ट के बच्चे काशी में गो सेवा करते नजर आ रहे हैं, वे बच्चे गाय को नहलाने से लेकर उसके गोबर फेकने तक को अपना सौभाग्य मानते हैं। यद्यपि उनके लिए यह कार्य यहां पर प्रतिबंधित है फिर भी कभी कभी स्वेच्छया वे सब इस कार्य को अंजाम देते हैं।

इन बच्चों ने जब चलना सीखा उसी समय परिस्थितियों की वजह से उन्हें यहां आना पड़ा ,  उन्हें यहां एक सुंदर और शैक्षणिक परिवेश के साथ साथ एक देवतुल्य अभिभावक भी मिला , जो उनकी माँ भी है और पिता भी । वेद शास्त्र की शिक्षा के साथ सूर्यकांत जालान जी उन बच्चों के रूप में ऐसे बीज का निर्माण कर रहे हैं कि जब नार्थ ईस्ट भारत में ये बच्चे धर्म और ज्ञान की शाखाएं फैलाएंगे उस समय सम्पूर्ण सांस्कृतिक भारत का निर्माण होगा और भारत के विश्वगुरु बनने का मार्ग प्रशस्त होगा ।