रावर्टसगंज संसदीय क्षेत्र मे,प्रत्याशी को लेकर उहापोह

रावर्टसगंज संसदीय क्षेत्र मे,प्रत्याशी को लेकर उहापोह

रावर्टसगंज संसदीय क्षेत्र मे,प्रत्याशी को लेकर उहापोह

रावर्टसगंज संसदीय क्षेत्र मे,प्रत्याशी को लेकर उहापोह

सोनभद्र(एपीआई एजेंसी):- चार प्रदेशों छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश , बिहार और झारखंड की सीमाओं से सटे उत्तरप्रदेश के आखिरी जिले सोनभद्र में लोकसभा प्रत्याशी को लेकर गुरुवार तक उहापोह बना हुआ है । समाजवादी पार्टी और अपनादल यस की ओर से अभी तक उम्मीदवार तय नहीं हो पाए हैं । एन डी ए और इंडी गठबंधन के बीच मुकाबला इस बात पर निर्भर करेगा कि  प्रत्याशी कौन रहता है। वर्तमान सांसद अपनादल के पकौड़ी लाल  कोल के प्रति ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज के एक बड़े तपके के लोगो में सांसद के बयान को लेकर नाराजगी है ।

मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र से अपना दल की सुप्रीमो अनुप्रिया
पटेल चुनाव लड़ रही है । इस क्षेत्र के कोल बिरादरी के मतदाताओं की हार जीत में निर्णायक संख्या है । यही कारण है कि  राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र के वर्तमान सांसद पकौड़ी लाल कोल को न तो लेते बन रहा है न ही छोड़ते बन रहा है । इधर बीजेपी के कद्दावर नेता अनपरा के जगदीश बैसवार और बीजेपी के 2014 में सांसद रहे कुंवर छोटे लाल खरवार के बारे में चर्चा है की ये लोग अपने लिए सही जगह की तलाश में है । सूत्रों का कहना है कि छोटे लाल जहां समाजवादी पार्टी की ओर टक टकी लगाए हुए है तो जगदीश बैसवार अपनादल से उम्मीद लगाए
हुए है ।

बहुजन समाज पार्टी पहले ही अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी हैं।  कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष , कोषाध्यक्ष फरीद का कहना है कि समाजवादी पार्टी जिसे भी प्रत्याशी बनाएगी कांग्रेस उसका समर्थन करेगी । इसी लोकसभा चुनाव के साथ दुद्धी विधान सभा अनुसूचित जन जाति के लिए आरक्षित सीट का उप चुनाव भी होने जा रहा है । वजह बीजेपी के निवर्तमान विधायक राम दुलार गोंड को एक पुराने मामले में कोर्ट से सजा होने के कारण उनकी विधान सभा की सदस्यता चली गई है । इस सीट से बीजेपी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला प्रचारक रह चुके श्रवण गोंड को उम्मीदवार घोषित कर दिया है।

समाजवादी पार्टी लगातार सात बार विभिन्न दलों के चुनाव चिन्हों पर जीत हासिल करने वाले चर्चित राजनीतिक नेता विजय सिंह गोंड को अपना  प्रत्याशी बनाने वाली है । विजय सिंह गोंड बीजेपी के
राम दुलार गोंड से 2022 के विधान सभा चुनाव में कम मतों के अंतर
से चुनाव हार गए थे । लेकिन इस बार लोकसभा के साथ हो रहे विधान
सभा की एक सीट के उप चुनाव का समीकरण बदला हुआ है । नरेंद्र मोदी और योगी के नाम पर बीजेपी के श्रवण गोंड चुनावी समर में पहली बार किस्मत आजमाने जा रहे है । विजय सिंह गोंड कांग्रेस , जनता दल और सपा के अलावा निर्दल रहकर भी चुनाव जीत चुके हैं ।

*राबर्ट्सगंज क्षेत्र से रहे सांसद*
   
इतिहास और कुछ नही बल्कि उन चंद लोगों के वक्त के दस्तावेव के पन्नो पर छोड़े गए कदमों के निशान होते हैं , जिन्हें आज भी लोग महसूस कर रहे हैं । आज हम   उन लोक सभा सदस्यों की चर्चा कर रहे है जो 1952 से लेकर 2019 तक राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके है । 18 वीं लोक सभा चुनाव के लिए इस क्षेत्र में अंतिम चरण में मतदान होना है। बावजूद इसके  चट्टी चौराहों , चाय पान की दुकानों और शादी विवाह की महफिलों में पहले के सांसदों के कृतित्व व्यक्तिव जेरे बहस रहते हैं ।
         *ये रहे सांसद*
       
1952 में पहली लोकसभा के लिए एक सीट से दो लोग चुने गए थे । अनारक्षित सामान्य सीट से कांग्रेस के जे एन विल्सन और अनुसूचित कोटे से रूप नारायण । दूसरी लोकसभा का चुनाव 1957 में हुआ
तो फिर यही जोड़ी निर्वाचित हो गई । 1962 में नया परिसीमन हुआ और यह राबर्ट्सगंज लोक सभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित
हुआ । स्वाधीनता संग्राम सेनानी रहे नगवा ब्लॉक के  बैनी गांव के कांग्रेस प्रत्यासी रामस्वरूप राम लगातार तीन बार 1962 , 1967 और 1972 में लोक सभा के लिए चुने गए ।

दो बैलों की जोड़ी चुनाव चिन्ह था । जय प्रकाश नारायण की समग्र क्रांति का असर यहां भी हुआ और 1977 में जनता पार्टी के बैनर तले चक्र के भीतर कंधे पर हल लिए निशान पर जनसंघ घटक के दुद्धी के महुली के निवासी अवकाश प्राप्त कानून गो शिवसंपत राम विजई हुए थे । गठबंधन टूट गया और लोकसभा का मध्यावधि चुनाव तीन साल बाद 1980 में हुआ तो कांग्रेस ने वापसी की और डिबुल गंज के निवासी कांग्रेस के कद्दावर आदिवासी नेता रामप्यारे पनिका निर्वाचित हो गए ।
1984 में फिर पनिका जी चुनाव जीत गए । बोफोर्स मामला उछाल
कर राजा विश्वनाथ प्रताप सिंह ने चुनावी माहौल बनाया तो बीजेपी के
कोन ब्लॉक के रोरावा गांव के सूबेदार प्रसाद लोकसभा के लिए चुने
गए । सूबेदार प्रसाद दो बार विधायक रह चुके थे । 1977 में वे प्रदेश सरकार में ग्रामीण उद्योग राज्य मंत्री रह चुके थे । 1991 में जनता दल
से रामनिहोर राय निर्वाचित हुए थे। अटल बिहारी के नेतृत्व में बीजेपी
के प्रत्यासी राम शकल 1996 , 1998 और 1999 में लगातार तीन
बार सांसद चुने गए ।

2004 बसपा के लाल चंद कोल चुनाव जीते , लेकिन आपरेशन दुर्योधन में धराने के कारण उनकी सदस्यता लोक सभा से समाप्त हो गई तो उप चुनाव में इसी पार्टी के भाई लाल कोल निर्वाचित हुए । 2009 में समाज वादी पार्टी के पकौड़ी लाल कोल निर्वाचित हुए । 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी के कुंवर छोटे लाल खरवार निर्वाचित हुए तो 2019 में अपना दल यस के उम्मीदवार रहे सपा से आए पकौड़ी कोल लोक सभा के सदस्य हुए । अब 2024 का चुनाव अंतिम चरण में होना है । प्रत्याशियों को लेकर अभी स्थिति
स्पष्ट नहीं है । यह सीट अपना दल को बीजेपी ने छोड़ दी है ।