पिछड़ी जाति व अनुसूचित जाति के मन में बैठा  है संविधान एवं आरक्षण समाप्त होने का डर

पिछड़ी जाति व अनुसूचित जाति के मन में बैठा  है संविधान एवं आरक्षण समाप्त होने का डर

पिछड़ी जाति व अनुसूचित जाति के मन में बैठा  है संविधान एवं आरक्षण समाप्त होने का डर

पिछड़ी जाति व अनुसूचित जाति के मन में बैठा  है संविधान एवं आरक्षण समाप्त होने का डर

जालौन(एपीआई एजेंसी):- गरौठा भोगनीपुर लोकसभा क्षेत्र के वोटर की 2009 के चनावों जैसी खामोशी दिखाई दे रही है मतदाता कुछ बोलने से पहले कई बातों को अपने मन में लाता है इसके बाद चुनाव के बारे में अपने पत्ते खोलता है । जालौन जिले के बहुत ही वरिष्ठ मान्यता प्राप्त पत्रकार के पी सिंह पिछले कुछ दिनों से चुनावी टूर पर निकले है उन्होंने जिले के लगभग तीनों विधानसभाओं के वोटरों का मन टटोलने का प्रयास किया उन्होंने बताया कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने जो आरक्षण समाप्त होने तथा संविधान खत्म करने की बात को प्रचार का हथियार बनाया वो मतदाता के दिमाग में बैठ गया।

जिसके चलते पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के लोगों में ये मुद्दा बहुत ही प्रभावी दिख रहा है जबकि लाभार्थी परख जो भाजपा की योजनाएं चल रही है उसका असर 2014 व 2019 में दिखा पर इस चुनाव से गायब दिखाई दे रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी कही जाती है जो बूथ लेवल का कार्यकर्ता अभी तक सभी कार्यक्रमों में दिखाई दे रहा था यहां तक कि विधानसभा चुनावों में भी बढ़चढ़ कर अपनी भूमिका निभा रहा था अब अचानक से गायब सा हो गया है। उन्होंने बताया कि राम मंदिर पर 2 फीसदी लोग चर्चा करते है जिनकी उम्र 70 वर्ष से ऊपर है नई पीढ़ी चर्चा करने को तैयार ही नहीं है ।

के पी सिंह ने यह भी बताया कि सुदूर के गांवों तक में बेरोजगारी का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है । उन्होंने बताया कि 1989 के बाद पहली बार ग्राउंड पर देखा जा सकता कि बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी साफ देखी जा सकती है इसके अलावा बसपा के पदाधिकारी भी सपा का प्रचार करते दिखाई दे रहे है वामसेफ के पदाधिकारी भी पूरी ताकत के साथ सपा का प्रचार करते देखे जा सकते है इससे माहौल ऐसा बन गया कि जो एक माह पूर्व चुनाव एकतरफा देखा जा रहा था वह कांटे का हो गया । जिले में भाजपा ने अपना परिवार बहुत बड़ा किया है मौजूदा समय में जिले की सारी नगर पालिकाओं के अध्यक्ष सभी विधायक भाजपा के है या उसके साथ है इसके बाबजूद चुनावी परिदृश्य लगातार बदलता दिखाई दे रहा है ।

उन्होंने बताया कि चुनाव में भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश की  कमी है चुनाव की हवा को बदलने के लिए जोश बहुत अहम होता है । उन्होंने बताया कि प्रत्याशी के खिलाफ   एंटीइंकमबेंसी का भी असर है इस चुनाव में कोई भी राष्ट्रीय मुद्दा हावी नहीं हो पा रहा है अगल अगल विधानसभाओं में स्थानीय मुद्दे दिखाई दे रहे है वोटर ने अपना मन एक माह पूर्व ही सेट कर लिया है कि किसको वोट करना है इसलिए वोटर देर से ही सही लेकिन सच सामने रख देता है उन्होंने बताया कि संविधान और आरक्षण समाप्त करने के डर के कारण भाजपा के खिलाफ मतदान करने का मन बना लिया है।

यही नहीं भाजपा प्रत्यासी का घमंड आसमान पर होने की वजह से भी ब्राह्मण वर्ग खासा नाराज है। भाजपा उम्मीदवार के वोट मांगने का तरीका किसी को पसंद नहीं आ रहा है मंत्री बनने के बाद जो स्वभाव में  बदलाव हुआ है वह उनके लिए घातक बनता जा रहा है । हालांकि 4 जून को ही मालूम पड़ेगा कि ऊंट किस करवट बैठता है और वोटर किसको देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचाता है।