होली की तैयारियां प्ररम्भ:दुकानों पर सजी पिचकरियां

होली की तैयारियां प्ररम्भ:दुकानों पर सजी पिचकरियां

होली की तैयारियां प्ररम्भ:दुकानों पर सजी पिचकरियां

होली की तैयारियां प्ररम्भ:दुकानों पर सजी पिचकरियां

महराजगंज(एपीआई एजेंसी):- होली का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है वैसे ही अब घरों में महिलाएं गुझिया, गुलगुले, स्वादिष्ट मिठाइयां व पकवान बनाने में जुटी हुई है। वैसे तो होली के दिन हर किसी के घर और कुछ मिले या न मिले मावे से तैयार गुझिया, नमक पारे की नमकीन, दही बड़े के साथ अन्य कई प्रकार के स्वादिष्ट भोजन तैयार होते हैं ऐसे में मेहमानों की मेहमान नवाजी में कोई कसर न रह जाए इसको लेकर अभी से तैयारी शुरू हो गई है।

बाजारों में इसका रंग चढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है दुकान है सजने लगी हैं दुकानों पर कई प्रकार के रंग गुलाल सहित देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ अन्य कार्टून फिल्मों के कैरेक्टर के मुखौटे अभी बाजार में आ चुके हैं जो काफी हद तक डिमांड में रहने वाले हैं। होलिका दहन को लेकर भी समिति के लोग तैयारी में जुटे हुए हैं जहां जमीन का चिन्हांकन कर साफ सफाई एवं अन्य व्यवस्थाओं के मद्देनज़र एकजुट होकर कार्य कर रहे हैं।

हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन होली का पर्व मनाया जाता है जो कि हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्योहार है। इस दिन एक-दूसरे को रंग लगाकर पुरानी बातों को भूलकर नई शुरुआत करते हैं, होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और इस दिन विशेष प्रकार की पूजा-पाठ की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार होलिका दहन का त्योहार विष्णु भक्त प्रह्रलाद से जुड़ा हुआ है। प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने कठिन तपस्या करने के बाद भगवान ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया और वरदान पाने के बाद खुद को ईश्वर मानने लगा साथ ही अपने राज्य में भी आदेश सुना दिया कि भगवान की बजाय उसी का पूजन किया जाए।

वह अपने राज्य में सभी से अपनी पूजा करवाने लगा था। उसने वरदान के रूप में ऐसी शक्तियां प्राप्त कर ली थी कि उसे कोई परस्त न कर सके और न ही कोई देव, असुर, मनुष्य, नर, नारी या जानवर उसका वध कर सके। ऐसे में भगवान श्री हरि विष्णु ने नर्सिंग्ह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध किया। तबसे होली का त्यौहार बड़े ही उत्साह के साथ रंग-बिरंगे गुलाल से खेलने का प्रचलन हुआ इस दिन का लोग बेशबरी से इंतजार करते हैं। होली, बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है , क्योंकि होली की पूर्व संध्या, जिसे होलिका दहन के नाम से जाना जाता है, यह याद दिलाती है कि कैसे  भगवान विष्णु अपने भक्त प्रह्लाद की सहायता के किए।